✒️ परवेज अख्तर / एडिटर इन चीफ
विधानसभा चुनाव में इस बार मतदाताओं ने जबरदस्त उत्साह दिखाया। वोट प्रतिशत में पिछली बार की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई और इस बार महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से भी अधिक रही।सीवान जिले की आठ में से सात सीटों पर एनडीए ने शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत दर्ज की। हालांकि इसी बीच NOTA (None of The Above) ने भी अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई। कुल 31742 मतदाताओं ने किसी भी उम्मीदवार को ना चुनते हुए NOTA का बटन दबाया, जो 2020 के मुकाबले काफी अधिक है। यह दर्शाता है कि मतदाताओं का एक वर्ग चुनावी विकल्पों से असंतुष्ट है और वह अपने असंतोष को व्यक्त करने के लिए NOTA का सहारा ले रहा है।राज्य में 2015 से लागू NOTA का प्रभाव अब और स्पष्ट रूप में दिखने लगा है। जीरादेई विधानसभा में तो स्थिति ऐसी रही कि NOTA को मिले 4707 वोट, जीत-हार के अंतर 2626 वोट से कहीं अधिक थे। यहां जदयू उम्मीदवार ने जीत हासिल की, लेकिन इन आंकड़ों से यह संकेत मिलता है कि कई मतदाता उपलब्ध विकल्पों से संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने NOTA के माध्यम से अपनी राय दर्ज कराई।कई ऐसे उम्मीदवार, जिन्होंने खुद को बदलाव का प्रतीक बताकर चुनाव मैदान में उतरने का दावा किया था, उन्हें भी आशा के अनुरूप समर्थन नहीं मिला। स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, जब मतदाता पारंपरिक और नए दोनों तरह के उम्मीदवारों को नकारते हुए NOTA दबाते हैं, तो यह न केवल असंतोष बल्कि राजनीतिक विकल्पों की विफलता का भी संकेत देता है। हालांकि कुछ विशेषज्ञ इसे मतदाताओं की जागरूकता की कमी से भी जोड़ते हैं।
