✒️ परवेज अख्तर / एडिटर इन चीफ
“शहाबुद्दीन सिर्फ एक नाम नहीं, मजलूमों की आवाज थे” — मौलाना इमरान
सिवान के पूर्व सांसद और जननायक डॉ. मोहम्मद शहाबुद्दीन की चौथी पुण्यतिथि के मौके पर जिले भर में श्रद्धा और संवेदना का माहौल देखा गया। हजारों लोगों ने उन्हें याद करते हुए दुआएं कीं और उनकी रूह की शांति के लिए विशेष प्रार्थनाएं की गईं। इस अवसर पर ऑल मदरसा युवा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना इमरान ने उन्हें बेहद भावुक शब्दों में याद करते हुए कहा, “शहाबुद्दीन साहब मजलूमों के मसीहा थे, उनका होना एक जज़्बा था, और उनका जाना एक खालीपन है जो कभी नहीं भर सकता।”
मौलाना इमरान ने कहा कि शहाबुद्दीन साहब की शख्सियत सिर्फ एक सियासी चेहरा नहीं था, बल्कि वे उन लोगों की आवाज थे जो सालों से व्यवस्था के हाशिये पर थे। उन्होंने कहा, “वो मर्द-ए-मुजाहिद थे, जिन्होंने सियासत को खिदमत का जरिया बनाया। उनका हर कदम इंसाफ और बराबरी की तरफ बढ़ता था।”
उन्होंने आगे कहा कि शहाबुद्दीन साहब के शब्द — “मैं ये कहकर जाऊंगा कि सांसों ने मुझे हरा दिया, किसी जम्हूरियत ने नहीं” — आज भी युवाओं को हिम्मत और हौसले की सीख देते हैं। मौलाना इमरान ने कहा कि यह जुमला सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि उस सच्चे इंसान की तकलीफों और मजबूती की दास्तान है, जिसने हर मुश्किल के बावजूद झुकना नहीं सीखा।
राजनीति से ऊपर था उनका जज़्बा
मौलाना इमरान ने कहा कि शहाबुद्दीन साहब की राजनीति जाति, धर्म या संप्रदाय की सीमाओं में बंधी नहीं थी। वह सबके थे और सब उनके। उन्होंने गरीबों, बेसहारों और पिछड़े तबकों के लिए काम किया, बगैर किसी भेदभाव के।
उन्होंने कहा, “अगर वो सियासी साजिशों का शिकार न हुए होते, तो आज सिवान न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश में एक मॉडल जिला होता। उन्होंने विकास की जो सोच दी थी, वह आज भी लोगों की ज़बान पर है।”
युवाओं के प्रेरणास्त्रोत
मौलाना इमरान ने खास तौर पर नौजवानों को संबोधित करते हुए कहा कि शहाबुद्दीन साहब का जीवन संघर्षों से भरा था, लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी उसूलों से समझौता नहीं किया। आज जब समाज में दिशाहीनता का माहौल है, तब शहाबुद्दीन साहब की जीवनी युवाओं के लिए मशाल की तरह है।
श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
चौथी पुण्यतिथि पर सिवान शहर के टाउन हॉल में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया, जिसमें सिवान सदर विधायक अवध बिहारी चौधरी,ओसामा शहाब सहित सैकड़ों नेताओं और समर्थकों ने शिरकत की।
