मौलाना मोहम्मद साकिब रज़ा जौहर को कौमी असात्ज़ा तंज़ीम का जिला संयोजक नियुक्त किया गया है। यह ऐलान तंज़ीम के प्रदेश अध्यक्ष ताज-उल-आरिफ़िन द्वारा किया गया। इस अवसर पर मौलाना साकिब रज़ा को बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड, पटना के सचिव और कौमी असात्ज़ा तंज़ीम के संरक्षक अब्दुल सलाम अंसारी ने नियुक्ति पत्र प्रदान किया। साथ ही उन्हें “तहरीक तहफुज उर्दू भाषा एवं साहित्य” से संबंधित किट, जिसमें बुकलेट, स्टीकर और “सैडबर्ग” पुस्तक शामिल है, भेंट की गई। उन्हें सीवान में संगठन को मजबूत करने और अपने कार्यों को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया गया।
संगठनात्मक कार्यभार और जिम्मेदारियां
मौलाना साकिब रज़ा को निर्देश दिया गया है कि वे शीघ्र ही सीवान जिला कमेटी का गठन करें और संगठन को सक्रिय करें। उनकी नियुक्ति से जिले में हर्ष का माहौल है और लोग उन्हें बधाई देने में जुटे हुए हैं।
ऑल मदरसा युवा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना इमरान ने साकिब रज़ा को बधाई देते हुए कहा, “मौलाना साकिब रज़ा जौहर साहब का व्यक्तित्व सक्रियता और दूरदर्शिता से भरपूर है। उनके नेतृत्व में संगठन उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार में नई ऊंचाइयों को छुएगा।”
संरक्षकों का योगदान और सराहना
मौलाना इमरान ने कौमी असात्ज़ा तंज़ीम के संरक्षकों की भूमिका की सराहना की। संरक्षक मंडल में शामिल हैं:
एसएम अशरफ फरीद – रोज़नामा कौमी तंज़ीम के मुख्य संपादक।
अब्दुल सलाम अंसारी – सचिव, बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड और माध्यमिक शिक्षा के डेप्युटी डायरेक्टर।
प्रोफेसर विजय कुमार जायसवाल – पूर्व सदस्य, बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग।
मौलाना इमरान ने कहा, “इन महान शख्सियतों की देखरेख में तंज़ीम ने उर्दू भाषा और साहित्य को संरक्षित करने और उसे प्रोत्साहित करने के लिए अद्भुत कार्य किए हैं। इनकी मेहनत से बिहार में उर्दू भाषा को नई दिशा मिल रही है।”
अब्दुल सलाम अंसारी की विशेष प्रशंसा
मौलाना इमरान ने विशेष रूप से अब्दुल सलाम अंसारी की सराहना की। उन्होंने कहा, “अब्दुल सलाम साहब न केवल एक दूरदर्शी व्यक्ति हैं, बल्कि उर्दू, अरबी और फारसी भाषाओं के विकास के लिए उनके योगदान अतुलनीय हैं। उनकी मेहनत और लगन से उर्दू के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा मिला है। उनका काम ऐतिहासिक और प्रेरणादायक है।”
उर्दू आंदोलन को नई दिशा
मौलाना साकिब रज़ा जौहर के जिला संयोजक बनने से सीवान में उर्दू भाषा और साहित्य को बढ़ावा मिलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। उनके नेतृत्व में संगठन जिले के मदरसे और स्कूलों से जुड़े शिक्षकों को संगठित किया जाएगा जो उर्दू के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।