✒️ परवेज अख्तर / एडिटर इन चीफ
विशेष साक्षात्कार: “जनता ही नेता चुनती है, पैसा नहीं” – डॉ. अशरफ अली
बड़हरिया, सिवान। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता और बड़हरिया विधानसभा से संभावित प्रत्याशी डॉ. अशरफ अली ने स्पष्ट किया है कि वह केवल राजद की टिकट पर ही चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दी, तो वह चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे। उनका दावा है कि उन्होंने बड़हरिया की हर पंचायत की समस्याओं को न केवल समझा है, बल्कि वहां के लोगों से सीधा जुड़ाव भी रखते हैं।
इस विस्तृत साक्षात्कार में डॉ. अशरफ अली ने चुनावी राजनीति, जातीय समीकरण, प्रतिद्वंद्वियों के दावों और जनसेवा के मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी।
“राजद की टिकट मिलेगी, जनता का भरोसा है”
प्रश्न:आपने स्पष्ट किया है कि आप केवल राजद की टिकट पर ही चुनाव लड़ेंगे। क्या आपको पार्टी से टिकट मिलने की पूरी उम्मीद है?
डॉ. अशरफ अली:बिल्कुल। मैंने वर्षों से बड़हरिया की जनता के बीच काम किया है। मैं यहां के हर पंचायत, हर गांव और हर घर की समस्याओं से वाकिफ हूं। मेरे लोगों से व्यक्तिगत संबंध हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि राजद की टिकट मुझे ही मिलेगी, क्योंकि जनता की पहली पसंद मैं ही हूं। अगर पार्टी आज भी सर्वे करवा ले, तो परिणाम मेरे पक्ष में ही आएगा।
प्रश्न: लेकिन बड़हरिया से अन्य लोग भी राजद टिकट के दावेदार हैं, जैसे अनवारुल हक और अरुण गुप्ता। क्या आपको लगता है कि पार्टी इन्हें टिकट दे सकती है?
डॉ. अशरफ अली:देखिए, लोकतंत्र में सभी को अपना दावा पेश करने का अधिकार है। लेकिन मैं स्पष्ट कहता हूं कि अगर पैसे से टिकट तय होगी, तो फिर अंबानी का बेटा ही चुनाव लड़ेगा, क्योंकि उनसे ज्यादा पैसा किसी के पास नहीं है! (हंसते हुए) लेकिन राजद ऐसी पार्टी नहीं है। यहां जनता की आवाज सुनी जाती है।
“जाति नहीं, जनता की समस्याएं मायने रखती हैं”
प्रश्न:बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण का बड़ा रोल होता है। आप इस बारे में क्या सोचते हैं?
डॉ. अशरफ अली: जाति का समीकरण एक वास्तविकता है, लेकिन क्या हर बार सिर्फ जाति के आधार पर ही चुनाव लड़ा जाएगा? क्या बड़हरिया की जनता की समस्याओं, उनकी उम्मीदों का कोई मूल्य नहीं? आज बड़हरिया में बेरोजगारी, सड़कें, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी गंभीर समस्याएं हैं। क्या जाति के नाम पर इन्हें अनदेखा किया जाएगा?
मैं मानता हूं कि जनता अब जागरूक हो चुकी है। वह उसी नेता को चुनेगी, जो उसकी समस्याओं को समझता है और उन्हें हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
“मैं बड़हरिया को जानता हूं, यह मेरी कर्मभूमि है”
प्रश्न:आपके प्रतिद्वंद्वी कहते हैं कि वे भी बड़हरिया के लिए काम कर रहे हैं। आप उनके दावों को कैसे देखते हैं?
डॉ. अशरफ अली:(गंभीर होकर) मैं सीधा सवाल पूछता हूं – क्या वे लोग बड़हरिया की सभी पंचायतों के नाम जानते हैं? क्या उन्हें पता है कि किस गांव में क्या समस्या है? बड़हरिया मेरे लिए सिर्फ एक चुनावी क्षेत्र नहीं, बल्कि मेरी कर्मभूमि है। मैं यहां का हूं, यहां की मिट्टी से जुड़ा हूं।
जो लोग अचानक चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं, वे “चुनावी मेंढक” हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएगा, ऐसे और लोग सामने आएंगे, जो जनता को भ्रमित करने की कोशिश करेंगे। लेकिन बड़हरिया की जनता इस बार किसी भी बदनीयती को बर्दाश्त नहीं करेगी।
“शहाबुद्दीन साहब को मेरी श्रद्धांजलि – मेडिकल कैंप लगाकर”
प्रश्न:पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन साहब की पुण्यतिथि पर आप सिवान के टाउन हॉल में नहीं गए। क्या यह राजनीतिक संदेश था?
डॉ. अशरफ अली:(थोड़ा आवेश में) मैं शहाबुद्दीन साहब का बहुत बड़ा समर्थक हूं। लेकिन मैंने उन्हें श्रद्धांजलि देने का एक बेहतर तरीका चुना – मैंने उस दिन सैकड़ों गरीबों को मुफ्त इलाज, दवाएं और जांच की सुविधा दी। क्या यह सेवा कार्य उनकी याद में सबसे बड़ी श्रद्धांजलि नहीं है?
लोग बातें बनाते रहेंगे, लेकिन मेरा काम ही मेरी पहचान है। जैसे गाने में कहा गया है – “अपने लिए जिए तो क्या जिए, तू जी ऐ दिल जमाने के लिए।”
“11 मई को बड़हरिया में बड़ा कार्यक्रम – तेजस्वी यादव का आह्वान”
प्रश्न: अगले कुछ दिनों में आपकी क्या योजनाएं हैं?
डॉ. अशरफ अली: 11 मई को बड़हरिया के रॉयल होटल में राजद का बड़ा कार्यक्रम होगा। यह “सामाजिक न्याय परिचर्चा” का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत तेजस्वी यादव जी ने की है। इस कार्यक्रम में पार्टी के वरिष्ठ नेता शामिल होंगे, जिसमें वीरेंद्र नारायण पचरुखी, ललन यादव, अमित कुमार राम और रविंद्र उर्फ गब्बर यादव जी भी होंगे।
हमारा संदेश स्पष्ट है – बिहार को फिर से सामाजिक न्याय और विकास के रास्ते पर ले जाना है। और बड़हरिया इसका अहम हिस्सा होगा।
“जनता का फैसला अंतिम फैसला होगा”
अंत में डॉ. अशरफ अली ने कहा – “मैं जनता के बीच हूं, उनके दर्द को समझता हूं। मुझे पूरा भरोसा है कि इस बार बड़हरिया की जनता वही नेता चुनेगी, जो उनके लिए वास्तव में काम करेगा। पैसा और प्रोपेगैंडा कुछ दिन चलेगा, लेकिन जनता का फैसला अंतिम फैसला होगा।”
इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर जोर देकर कहा “पार्टियां नेता नहीं बनातीं, जनता नेता बनाती है!”

1 thought on ““जनता ही नेता चुनती है, पैसा नहीं” – डॉ. अशरफ अली”
डॉक्टर साहब की बात बहुत ही सही है कि जनता ही नेता बनाती है और कहा भी गया है कि ” यह पब्लिक है सब जानती है”