✍🏽 परवेज़ अख्तर/एडिटर इन चीफ
सिवान: मौनी अमावस्या का पावन पर्व श्रद्धा और आस्था के साथ शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस अवसर पर श्रद्धालु सरयू समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर पितरों के निमित्त तर्पण करेंगे। आत्मशुद्धि के लिए कई लोग मौन साधना का पालन भी करेंगे।
आंदर के पड़ेजी निवासी आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। मां गंगा की कृपा भक्तों पर बरसती है और कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव से राहत मिलती है। इस बार माघी अमावस्या पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जो इसे और भी खास बना रहे हैं। मौन व्रत से आत्मबल और मन की शुद्धि प्राप्त होती है, जिससे जीवन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा आती है।
मौनी अमावस्या पर करें तिल का दान
मौनी अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिपूर्वक करें और काले तिल का दान करें। ऐसा माना जाता है कि तिल का दान करने से मृत्यु के बाद बैकुंठ में स्थान मिलता है और जीवन में सुख-शांति आती है।
मौनी अमावस्या पर क्या न करें?
मौनी अमावस्या के दिन ऐसे कार्यों से बचना चाहिए, जो पितरों को कष्ट पहुंचा सकते हैं। इस दिन नाखून काटने, बाल कटवाने या मुंडन करवाने से परहेज करें। मदिरा और मांस का सेवन वर्जित है। सात्विक भोजन करें और ईश्वर का ध्यान करें। इसके अलावा झूठ बोलने और किसी से विवाद करने से बचें।
यह पावन दिन आत्मशुद्धि, पितृ तर्पण और भगवान विष्णु की आराधना के लिए विशेष माना गया है। श्रद्धालु इस दिन अपनी आस्था को प्रकट करते हुए पवित्र कार्यों में भाग लेते हैं।